ट्रंप की धमकियों के बीच रूस का पलटवार, हटाया मिसाइल तैनाती पर लगाया स्वैच्छिक प्रतिबंध

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मास्को। अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूस ने बड़ा सामरिक फैसला लेते हुए छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों की तैनाती पर वर्षों से लागू स्वैच्छिक प्रतिबंध हटा दिया है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस के तटों के पास दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने के आदेश के बाद आया है, जिससे दोनों महाशक्तियों के बीच तनातनी और भी गहरा गई है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक सख्त बयान जारी करते हुए कहा कि अब वह खुद को इस स्वैच्छिक प्रतिबंध से बंधा हुआ नहीं मानता। मंत्रालय के अनुसार, “इस प्रतिबंध को बनाए रखने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ अब मौजूद नहीं हैं, और अमेरिका की आक्रामक रणनीति को देखते हुए यह कदम जरूरी हो गया था।”

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1987 की ऐतिहासिक संधि की पृष्ठभूमि में बदला रुख
गौरतलब है कि वर्ष 1987 में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस ट्रीटी (INF Treaty) हुई थी, जिसके तहत दोनों देशों ने 500 से 5,500 किलोमीटर की रेंज वाली ज़मीन से दागी जाने वाली बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की तैनाती पर रोक लगाने का संकल्प लिया था। लेकिन 2019 में अमेरिका ने इस समझौते से एकतरफा तरीके से खुद को अलग कर लिया था। रूस ने इस संधि का सम्मान करते हुए अब तक मिसाइल तैनाती नहीं की थी, लेकिन ताज़ा हालात में उसने अपने रुख में बदलाव कर दिया है।

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“पहले अमेरिका ने उकसाया”, रूस का आरोप
रूसी मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि “हमने हमेशा यह कहा था कि जब तक अमेरिका ऐसे कोई कदम नहीं उठाता, हम भी संयम बरतेंगे। लेकिन अब जब अमेरिका ने खुद हमारे तटों के पास परमाणु शक्ति से लैस पनडुब्बियां तैनात कर दी हैं, तो हमारे पास भी जवाबी कार्रवाई के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा।”

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क्या फिर से शुरू होगा शीत युद्ध जैसी स्थिति?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का यह निर्णय वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। पहले ही यूक्रेन युद्ध और नाटो विस्तार को लेकर पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव चरम पर है। ऐसे में मिसाइल तैनाती जैसे निर्णय दुनिया को फिर से शीत युद्ध जैसी स्थिति की ओर धकेल सकते हैं।

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