नई दिल्ली। संसद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलकर VB G RAM G करने से जुड़े विधेयक पर तीखी राजनीतिक बहस देखने को मिली। विपक्ष ने इस प्रस्ताव को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए, वहीं कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने लोकसभा में शायराना अंदाज़ में सरकार पर तीखा हमला बोला।
लोकसभा में चर्चा के दौरान शशि थरूर ने कहा, “देखो दीवानों ये काम न करो, राम का नाम बदनाम मत करो।” उन्होंने महात्मा गांधी का नाम योजना से हटाने पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि देश की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना से गांधी जी का नाम हटाना उसकी आत्मा और विरासत के साथ अन्याय है। थरूर के इस बयान पर विपक्षी सांसदों ने मेजें थपथपाकर समर्थन जताया, जबकि सदन में कई बार हंगामे की स्थिति भी बनी।
थरूर ने कहा कि केवल “जी राम जी” जैसे नामकरण से योजना के मूल उद्देश्य को बदला नहीं जा सकता। उन्होंने इसे पीछे की ओर ले जाने वाला कदम करार देते हुए कहा कि महात्मा गांधी का रामराज्य कोई राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि सामाजिक और आर्थिक बदलाव का ब्लूप्रिंट था। यह ग्राम स्वराज की अवधारणा से जुड़ा था, जिसका मकसद समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को मुख्यधारा में लाना था।
उन्होंने आरोप लगाया कि नया विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित समानता के सिद्धांत की भावना के खिलाफ है। थरूर ने यह भी कहा कि योजना के तहत 40 प्रतिशत वित्तीय बोझ राज्यों पर डालना गरीब राज्यों के लिए गंभीर मुश्किलें खड़ी करेगा। इससे राज्यों की अन्य गरीब-कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित होंगी और यह संघीय ढांचे की भावना को भी चोट पहुंचाने वाला कदम है।
इससे पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की थी। प्रियंका गांधी ने कहा कि मनरेगा कानून की जगह जो नया विधेयक लाया गया है, उससे ग्रामीण श्रमिकों के अधिकार कमजोर होंगे और रोजगार गारंटी की मूल भावना को नुकसान पहुंचेगा।
मनरेगा के नाम और स्वरूप में बदलाव को लेकर संसद में जारी यह बहस आने वाले दिनों में और तेज होने के संकेत दे रही है, क्योंकि विपक्ष इसे सिर्फ नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों से जुड़ी एक ऐतिहासिक योजना की पहचान बदलने की कोशिश बता रहा है।
