उत्तराखंड में 60 दिन के भीतर 1500 वार्ड बॉय की भर्ती, तीन साल में दूर होगी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी

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देहरादून: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विधानसभा में जानकारी देते हुए कहा कि अगले 60 दिनों के भीतर 1500 वार्ड बॉयज की भर्ती की जाएगी। साथ ही, राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी अगले तीन वर्षों में पूरी कर दी जाएगी। सरकार का दावा है कि पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा सुधार लाने के लिए विस्तृत रोडमैप तैयार किया गया है।

विपक्ष ने खड़े किए सवाल, स्वास्थ्य सेवाओं पर हमला

शुक्रवार को भोजनावकाश से पहले कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने नियम-58 के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में लचर स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है और वेलनेस सेंटर बदहाल स्थिति में हैं। विधायक मदन सिंह बिष्ट और लखपत बुटोला ने भी स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को पलायन का मुख्य कारण बताया।

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सरकार की सफाई और बड़े ऐलान

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विपक्ष के आरोपों पर सफाई देते हुए बताया कि—
60 दिन में 1500 वार्ड बॉय की भर्ती की जाएगी।
एमबीबीएस के 275 बैकलॉग पदों पर जल्द भर्ती होगी।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी तीन साल में पूरी होगी
5000 से ज्यादा गांव टीबी मुक्त हो चुके हैं, 2025-26 तक पूरा राज्य टीबी मुक्त होगा।
272 फ्री जांच योजना के तहत 26.77 लाख से अधिक लोगों की मुफ्त जांच की गई।
मोतियाबिंद ऑपरेशन, यात्रा और चश्मा पूरी तरह निशुल्क
1.51 लाख संस्थागत प्रसव कराए गए

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मेडिकल कॉलेजों से आएंगे विशेषज्ञ डॉक्टर

मंत्री ने बताया कि राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 650 छात्रों में से 50% बांड के तहत पढ़ाई कर रहे हैं, जो पहाड़ों में सेवा देंगे। 204 छात्र इस समय पीजी कर रहे हैं और अगले तीन वर्षों में 400 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार होंगे, जिससे डॉक्टरों की कमी खत्म होगी।

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सीएचसी होंगे अपग्रेड, हरिद्वार मेडिकल कॉलेज पर सफाई

🔹 खानपुर, डोईवाला, रायपुर, सितारगंज समेत कई जगहों पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) को उप-चिकित्सालय में अपग्रेड किया जा रहा है।
🔹 हरिद्वार मेडिकल कॉलेज फिलहाल पीपीपी मोड पर संचालित नहीं हो रहा है।

अब आगे क्या?

सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े दावे और वादे किए हैं, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि पर्वतीय क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के दावों पर अमल नहीं हो रहा। अब देखना होगा कि ये घोषणाएं हकीकत बनती हैं या सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाती हैं।