हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, प्रवक्ताओं से वसूली गई वेतनवृद्धि होगी वापस

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 2011 में नियुक्त प्रवक्ताओं से की गई अतिरिक्त वेतनवृद्धि की वसूली को पूरी तरह निरस्त कर दिया है। 2019 के शासनादेशों के आधार पर की गई सभी पूर्व कार्रवाई भी रद्द कर दी गई है।

सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को आदेश दिया है कि चयन/प्रोन्नत वेतनमान अनुमन्य होने के समय दी गई अतिरिक्त वेतनवृद्धि की वसूली की रकम तत्काल शिक्षकों को वापस की जाए। यह आदेश हाईकोर्ट में लंबित अवमानना याचिका की सुनवाई से पहले जारी हुआ है।

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मामला 2011 में नियुक्त प्रवक्ताओं से जुड़ा है, जिनमें चंद्र सिंह, धीरेंद्र मिश्रा, विनोद पैन्यूली और सुशील तिवारी शामिल हैं। शिक्षकों का कहना था कि 10 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर उत्तराखंड सरकारी सेवक वेतन नियमावली 2016 के अनुसार उन्हें चयन वेतनमान के साथ एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि देय थी, लेकिन 2019 में लाए गए शासनादेश में यह प्रावधान नहीं था और इसी आधार पर वसूली शुरू कर दी गई।

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शिक्षकों ने वसूली के खिलाफ प्रत्यावेदन दिया, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर हुई। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने सचिव विद्यालयी शिक्षा को सख्त निर्देश दिए और 16 अगस्त को रिपोर्ट पेश करने को कहा। उससे पहले ही विभाग ने वसूली को निरस्त कर धनराशि लौटाने का आदेश जारी कर दिया।

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गौरतलब है कि पूर्व में भी हाईकोर्ट शंकर सिंह बोरा एवं अन्य शिक्षकों के मामले में अतिरिक्त वेतनवृद्धि की कटौती वापस करने का आदेश दे चुका है।

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