नई दिल्ली/हल्द्वानी। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और नैनीताल–उधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने लोकसभा सत्र के दौरान अतारांकित प्रश्न के माध्यम से उत्तराखंड में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध बढ़ते अपराधों के मामलों के त्वरित निस्तारण का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या ऐसे संवेदनशील मामलों के तेजी से निपटारे के लिए राज्य में विशेष न्यायालय स्थापित करने की कोई योजना है।
इस पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने सदन को अवगत कराया कि देशभर में फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए 31 मार्च 2026 तक 1952.30 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है। वर्तमान में देश में 773 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय संचालित हैं, जिनमें 400 विशिष्ट पॉक्सो न्यायालय शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड सरकार के अनुरोध पर राज्य को तीन अतिरिक्त फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय आवंटित किए गए हैं। ये न्यायालय देहरादून (विकासनगर), उधम सिंह नगर (काशीपुर) और नैनीताल जिला मुख्यालय में स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों, अभियोजकों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जिम्मेदारी राज्य सरकार और संबंधित उच्च न्यायालय की होती है।
केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में वर्तमान में विशिष्ट पॉक्सो न्यायालयों सहित कुल चार फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय कार्यरत हैं। वर्ष 2025 में जनवरी से सितंबर के बीच राज्य में बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के तहत 248 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 212 मामलों का निस्तारण किया जा चुका है। वहीं दिसंबर 2025 तक ऐसे मामलों में कुल 1113 प्रकरण लंबित हैं।
लोकसभा में इस मुद्दे के उठने को महिला और बाल अपराधों पर शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
