नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए पीएसएलवी ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल (पीओईएम-4) को सफलतापूर्वक पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कराया। यह मॉड्यूल 4 अप्रैल 2025 को सुबह 8:03 बजे हिंद महासागर में टकराया।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि पीओईएम-4 को पृथ्वी की ओर लाने का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में बढ़ते मलबे को कम करना था। यह कदम अंतरिक्ष पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
24 पेलोड्स का सफल परीक्षण
पीओईएम-4 ने अपने मिशन जीवनकाल के दौरान कुल 24 पेलोड्स का सफल संचालन किया। इनमें 14 इसरो के और 10 विभिन्न गैर-सरकारी संस्थाओं के पेलोड शामिल थे। इन पेलोड्स से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्राप्त हुआ, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए उपयोगी साबित होगा।
सुरक्षित पुनः प्रवेश के लिए विशेष तकनीक
इसरो ने बताया कि पीओईएम-4 को एक नियंत्रित और अपेक्षित कक्षा (350 किमी) में लाने के लिए उसके इंजन को सक्रिय किया गया। आकस्मिक टूट-फूट और संभावित खतरों को टालने के लिए मॉड्यूल में बचा हुआ ईंधन भी निष्कासित कर दिया गया। यह मिशन अंतरिक्ष में जिम्मेदार संचालन की दिशा में इसरो के प्रयासों का हिस्सा है।
क्या है पीओईएम-4?
पीओईएम-4, इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C60) के पुनः उपयोग किए गए ऊपरी चरण पर आधारित एक प्रयोगात्मक मंच है। इसे 30 दिसंबर 2024 को PSLV-C60 के जरिए लॉन्च किया गया था। इस मिशन में जुड़वां स्पेडेक उपग्रहों को 475 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया गया था, जिसके बाद पीओईएम-4 को लगभग उसी कक्षा में सक्रिय किया गया।
इसरो की यह सफलता वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक बड़ा कदम है, जिससे न केवल स्पेस डेब्रिस (अंतरिक्ष कचरा) कम होगा, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ अंतरिक्ष वातावरण तैयार करने में भी मदद मिलेगी।