1 अगस्त तक नहीं बनी डील तो भारत को झेलना होगा 35 फीसदी टैरिफ : ट्रंप

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रूस से तेल खरीदने पर भी चेतावनी, बोले- 100 फीसदी टैरिफ लगेगा

नई दिल्ली/वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर 1 अगस्त से पहले भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील नहीं होती, तो भारत को 35 फीसदी तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।

वॉशिंगटन में मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ एक ऐसी व्यापारिक संधि की तैयारी चल रही है, जैसी हाल ही में इंडोनेशिया के साथ की गई थी। ट्रंप के मुताबिक, इस समझौते से अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी।

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उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया के साथ हुए करार के तहत अमेरिका में वहां से आयातित सामान पर 19 फीसदी टैरिफ लगाया गया है, जबकि अमेरिका से इंडोनेशिया भेजे गए सामान पर कोई शुल्क नहीं है। ट्रंप ने संकेत दिए कि भारत के साथ भी इसी तरह की शर्तें हो सकती हैं, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए ऐसे प्रावधान स्वीकार करना मुश्किल होगा।

रूस से तेल आयात पर भी कड़ा रुख
ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भी सख्त बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि रूस ने अगले 50 दिनों में यूक्रेन से युद्ध नहीं रोका, तो रूस से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 100 फीसदी तक टैरिफ लगाया जा सकता है। ट्रंप ने भारत का नाम लेते हुए साफ किया कि यह चेतावनी सभी रूस से ऊर्जा लेने वाले देशों के लिए है।

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सीनेट में बिल लंबित, ट्रंप ने जताई नाराजगी
ट्रंप ने बताया कि सीनेट में रूस से ऊर्जा आयात पर 500 फीसदी टैरिफ लगाने वाला बिल फिलहाल अटका हुआ है, लेकिन उन्होंने कहा कि वे इस तरह के कदम खुद भी उठा सकते हैं। ट्रंप ने दावा किया कि उनकी टैरिफ नीति के कारण ही अमेरिका को भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों के बाजारों तक पहुंच मिल रही है।

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“डील न हुई तो विकल्प तैयार”
ट्रंप ने साफ किया कि अगर भारत तय समयसीमा में व्यापार समझौते पर सहमत नहीं होता, तो अमेरिका विकल्प के तौर पर टैरिफ बढ़ाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत में दुर्लभ खनिज और उच्च गुणवत्ता वाले तांबे की उपलब्धता अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है, और अमेरिकी कंपनियों को इन संसाधनों तक आसान पहुंच चाहिए।

नजरें भारत की रणनीति पर
अब सबकी नजर भारत सरकार की अगली रणनीति पर टिकी है। क्या भारत ट्रंप के दबाव के आगे झुकेगा या अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करते हुए कूटनीतिक रास्ता अपनाएगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।