नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने काठगोदाम से लालकुआं तक नेशनल हाईवे चौड़ीकरण के बाद बने बेतरतीब कटों से हो रहे हादसों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए गंभीर रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी नैनीताल वंदना और एनएच के डायरेक्टर कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने दुर्घटनाओं का कारण पूछा और सवाल उठाया कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए अंडरपास क्यों नहीं बनाए गए। न्यायालय ने टिप्पणी की कि बिना सर्वे किए हाईवे का निर्माण कर दिया गया, जिसके चलते मात्र आठ माह में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
उल्लेखनीय है कि चोरगलिया निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भुवन चंद्र पोखरिया और लालकुआं के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हादसों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया था। पत्र में बताया गया कि बेतरतीब कटों के चलते कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने और ओवरस्पीड वाहनों पर रोक लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर लगाने की भी मांग की गई है।