देहरादून। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन उसे झटका लगा है। निगम द्वारा मध्यम और दीर्घ अवधि के पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) के लिए बार-बार टेंडर जारी किए जाने के बावजूद कोई कंपनी सामने नहीं आ रही है।
यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय अग्रवाल ने नियामक आयोग की जनसुनवाई में यह स्वीकार किया कि निगम ने नौ बार मध्यम अवधि के टेंडर जारी किए, लेकिन कोई भी कंपनी बिजली आपूर्ति के लिए तैयार नहीं हुई।
बढ़ती मांग, बढ़ते दाम— कंपनियों की हिचकिचाहट
पहले यूपीसीएल हाइड्रो, थर्मल, सोलर और गैस आधारित प्लांट से अलग-अलग पीपीए करके सस्ती बिजली खरीदता था। लेकिन हाल के वर्षों में बिजली की मांग और दामों में भारी बढ़ोतरी के चलते कंपनियां अब दीर्घ और मध्यम अवधि के लिए बिजली बेचने से बच रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बिजली बाजार में अस्थिरता और ऊंची कीमतें कंपनियों को केवल अल्पकालिक आपूर्ति की ओर धकेल रही हैं। नतीजतन, उत्तराखंड को भविष्य की जरूरतों के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और आपूर्ति रणनीतियों पर विचार करना होगा।
प्रशासन और ऊर्जा विशेषज्ञों की नजर अब इस बात पर है कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे निकालती है।