देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन त्वरित और समन्वित प्रयासों से इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसी क्रम में राज्य सरकार “आपदा मित्र” योजना की तर्ज पर “आपदा सखी योजना” शुरू करने जा रही है। इसका उद्देश्य महिला स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित कर उन्हें आपदा के समय प्रभावी भूमिका के लिए तैयार करना है।
सीएम धामी शनिवार को एक होटल में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के सहयोग से आयोजित मानसून 2025 की तैयारियों पर केंद्रित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन केवल सरकारी तंत्र की नहीं, बल्कि आम जनमानस की भी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने विभागीय समन्वय के साथ संवेदनशीलता को जरूरी बताया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि आपदा सखी योजना के पहले चरण में राज्य आजीविका मिशन के तहत 95 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें चेतावनी तंत्र, प्राथमिक उपचार, राहत-बचाव कार्य और मनोवैज्ञानिक सहायता जैसे विषयों में दक्ष किया जाएगा।
धामी ने कहा कि राज्य सरकार प्रोएक्टिव और रिएक्टिव रणनीति दोनों के जरिये आपदाओं से निपटने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने 2024 में गौरीकुंड में बादल फटने की घटना का उदाहरण देते हुए बताया कि समय पर अलर्ट और तैयारियों के कारण हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी।
सीएम ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि भूस्खलन, बाढ़ और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर वहां जेसीबी, क्रेन और आवश्यक उपकरणों की तैनाती की जाए। पुराने और संवेदनशील पुलों की तकनीकी जांच कर बैली ब्रिज एवं वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी की जाए। साथ ही आपदा में लापरवाही बरतने वालों पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी।
मौसम और संसाधन पर विशेषज्ञों की राय
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि मौसम विभाग ने इस बार मानसून के सामान्य से अधिक रहने और जल्दी आने का पूर्वानुमान दिया है। इसलिए सभी विभागों को समय रहते पुख्ता तैयारी करनी होगी।
एनडीएमए सदस्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि उत्तराखंड के लिए यह मानसून (15 जून से सितंबर तक) संवेदनशील रहेगा।
- भूस्खलन रोकथाम के लिए राज्य को ₹140 करोड़,
- 190 संवेदनशील झीलों के लिए ₹40 करोड़,
- फॉरेस्ट फायर स्कीम के लिए ₹16 करोड़ की स्वीकृति मिल चुकी है।
- भूकंप प्रबंधन के लिए भी आवश्यकता अनुसार धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
कार्यशाला में मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह, सीडब्ल्यूसी के सुधीर त्रिपाठी, जीएसआई के निदेशक रवि नेगी, और एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोहिताश्व मिश्रा ने मानसून संबंधी जोखिम, पूर्वानुमान, राहत कार्यों और संसाधन तैनाती पर तकनीकी जानकारी दी।
इस दौरान प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली, प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन, और आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।