नई दिल्ली। भारत और चीन के ठंडे पड़े रिश्तों के बीच एक बड़ा सकारात्मक संकेत नजर आया है। भारत सरकार ने चीनी पेशेवरों के लिए बिजनेस वीज़ा नियमों में ढील देते हुए प्रक्रिया को सरल और तेज कर दिया है। अब चीनी नागरिकों को बिजनेस वीज़ा मिलने में लगने वाली लंबी देरी खत्म होगी और मंजूरी एक महीने से भी कम समय में दी जा सकेगी। अधिकारियों के अनुसार, वीज़ा प्रक्रिया से अतिरिक्त प्रशासनिक जांच की परतें हटा दी गई हैं, जिससे वीज़ा चार सप्ताह के भीतर प्रोसेस किया जा रहा है।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। इसके चलते चीनी नागरिकों की यात्रा पर सख्ती बढ़ा दी गई थी और बिजनेस वीज़ा को गृह मंत्रालय व विदेश मंत्रालय की कड़ी निगरानी में रखा गया था। हालांकि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों को पटरी पर लाने की नई पहल दिखी है। दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट्स भी दोबारा शुरू हो चुकी हैं और अब वीज़ा नियमों में यह राहत दी गई है।
वीज़ा पाबंदियों का भारतीय उद्योगों पर बड़ा असर पड़ा था। ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ (ORF) की रिपोर्ट के अनुसार, वीज़ा देरी और कड़ी जांच के चलते भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण कंपनियों को पिछले चार वर्षों में करीब 15 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा। मोबाइल निर्माण कंपनियों, जिनकी निर्भरता चीन से आने वाले तकनीकी उपकरणों और इंजीनियरों पर है, को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। शाओमी जैसी बड़ी कंपनियों को भी वीज़ा मंजूरी में काफी संघर्ष करना पड़ा था। सोलर सेक्टर में भी स्किल्ड चीनी तकनीशियनों की कमी से कई प्रोजेक्ट्स प्रभावित हुए।
इंडस्ट्री संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि सीमा से सटे देशों के पेशेवरों के लिए स्किल्ड-वीज़ा की मंजूरी तेज करने का फैसला उद्योग के लिए राहत लेकर आया है। बताया जा रहा है कि यह कदम पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर उठाया गया है, जिसका उद्देश्य चीन से निवेश के रास्ते आसान करना और भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गति देना है।
हालांकि सरकार की ओर से आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वीज़ा को लेकर खड़ी दीवार अब काफी हद तक हट चुकी है और दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खुल सकते हैं।
