नेपाल में बड़ा राजनीतिक बदलाव तय! चुनावी व्यवस्था से लेकर नेताओं के कार्यकाल तक होगा बड़ा फेरबदल

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काठमांडू : काठमांडू से निकली यह खबर सिर्फ नेपाल ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल पैदा करने वाली है। ‘जेन-जी’ आंदोलन की आंच से ओली सरकार गिरने के बाद सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार अब नेपाल के संविधान में ऐतिहासिक परिवर्तन के लिए कदम बढ़ा चुकी है। बुधवार रात सरकार और आंदोलनकारियों के बीच हुए 10 सूत्रीय समझौते ने संकेत दे दिया है कि नेपाल अब एक नए राजनीतिक दौर में प्रवेश करने वाला है।

🔥 नई पीढ़ी का दबदबा: बनेगा उच्चस्तरीय ‘संविधान संशोधन आयोग’
सबसे अहम फैसला—सरकार एक उच्चस्तरीय संविधान संशोधन सिफारिश आयोग बनाएगी। इसमें शामिल होंगे: हितधारक, स्वतंत्र विशेषज्ञ और सबसे खास—‘जेन-जी’ प्रतिनिधि यानी संविधान में बदलाव वही करेंगे, जिन्होंने सड़कों पर उतरकर बदलाव की शुरुआत की थी।

🗳️ चुनावी प्रणाली में बड़ा सुधार: आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व
आयोग जनसंख्या के आधार पर पूरी तरह समावेशी और अनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए चुनावी सुधार सुझाएगा। अभी नेपाल की चुनाव प्रणाली यह है: 60% सीटें—फर्स्ट पास्ट द पोस्ट, 40%—आनुपातिक प्रतिनिधित्व (PR)
लेकिन ‘जेन-जी’ का मानना है कि यह व्यवस्था असमानता बढ़ाती है। अब इसे बदलने की तैयारी चल रही है।

नेताओं पर लग सकती है समय-सीमा: 10 साल से ज्यादा सत्ता में नहीं!
सबसे चर्चित प्रस्ताव—प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों तक के लिए दो कार्यकाल (अधिकतम 10 वर्ष) की सीमा। अभी यह सीमा सिर्फ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, स्थानीय सरकार प्रमुखों पर लागू है। यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि नेपाल में राजनीति लंबे समय से ‘म्यूजिकल चेयर’ बन चुकी थी—ओली, देउबा और प्रचंड बार-बार सत्ता में आते-जाते रहे और जनता का धैर्य टूट चुका था।

👥 युवा शक्ति का दबदबा—उम्मीदवारी की उम्र घटाने पर भी विचार
आयोग यह भी सुझा सकता है कि: संघीय व प्रांतीय चुनाव लड़ने की उम्र 25 से घटकर 21 साल कर दी जाए। यानी अब युवा सीधे संसद में कदम रख सकेंगे।

🧩 राजनीतिक नियुक्तियों पर भी सख्ती
राज्य निकायों में “सिफारिश–भाई-भतीजावाद–राजनीतिक वफादारी” का खेल खत्म करने के लिए भी आयोग नए नियम सुझाएगा।

🏛️ कैसे टूटी ओली सरकार?
जुलाई 2024 में ओली सरकार बनी थी। उसने संविधान सुधार का वादा किया था, लेकिन सितंबर में ‘जेन-जी’ आंदोलन ने सरकार ही गिरा दी। यूथ नाराज थे क्योंकि: पुरानी पीढ़ी सत्ता पर काबिज कोई स्थिरता नहीं, बार-बार वही चेहरे कोई ठोस सुधार नहीं नतीजतन, सरकार गिर गई और अब वही सुधार लागू करने की तैयारी है, जिन्हें युवाओं ने आवाज दी।

नेपाल में राजनीतिक क्रांति की शुरुआत?
अंतरिम सरकार के इन फैसलों ने साफ कर दिया है कि नेपाल आने वाले महीनों में बड़े संवैधानिक बदलावों से गुजरने वाला है।युवा नेतृत्व, सत्ता की समय-सीमा, और जनसंख्या आधारित प्रतिनिधित्व— ये कदम नेपाल की राजनीति की दिशा बदल सकते हैं।

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