नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ आज से लागू हो गया है। जुलाई में घोषित 25 प्रतिशत टैरिफ के बाद अगस्त में लगे इस अतिरिक्त शुल्क के साथ भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ प्रभावी हो गया है। अमेरिका का कहना है कि यह कदम भारत की रूस से बढ़ती तेल और हथियारों की खरीद के विरोध में उठाया गया है।
इस फैसले से भारत अब ब्राजील के साथ उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन पर अमेरिका ने सबसे ऊंचा शुल्क लगाया है। टैरिफ लागू होने से भारत के लगभग दो-तिहाई वस्तु व्यापार पर असर पड़ेगा और 12 प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को सीधा झटका लगने की आशंका है। क्रिसिल रेटिंग्स ने चेतावनी दी है कि कुछ सेक्टरों की निर्यात मात्रा में 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
भारत से अमेरिका को होने वाले करीब 48 अरब डॉलर के निर्यात पर इसका सीधा असर होगा। हालांकि फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद जैसे क्षेत्रों को अभी राहत दी गई है, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा हैं।
टैरिफ का असर तिरुपुर, नोएडा, सूरत, विशाखापत्तनम और जोधपुर जैसे प्रमुख उत्पादन केंद्रों में दिखना शुरू हो गया है। अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिका को भारत का निर्यात 43 प्रतिशत तक घट सकता है। इससे वियतनाम, बांग्लादेश, चीन, तुर्की, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे देशों को बड़ा लाभ मिल सकता है, जिन पर अमेरिका का टैरिफ भारत से कम है।
सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए 25,000 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन की घोषणा की है। इसके तहत व्यापार वित्त, ऋण सुविधा, जीएसटी सुधार, विशेष आर्थिक क्षेत्रों में बदलाव और वैश्विक बाजारों में ‘ब्रांड इंडिया’ को मजबूत करने की योजना है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ नहीं लगाएगा, लेकिन निर्यातकों और नौकरियों की सुरक्षा के लिए हर नीति, वित्तीय और कूटनीतिक विकल्प पर काम करेगा। साथ ही, सरकार यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से आगे बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है, ताकि अमेरिकी निर्भरता कम की जा सके।

