खराब मौसम के चलते एक दिन रोकी गई थी यात्रा, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
श्रीनगर। अमरनाथ यात्रा एक दिन के व्यवधान के बाद शुक्रवार को फिर से शुरू हो गई। जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से 7,908 श्रद्धालुओं का नया जत्था कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पवित्र गुफा के लिए रवाना हुआ। प्रशासन के मुताबिक, 3 जुलाई से शुरू हुई यात्रा में अब तक 2.52 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं।
अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को दो सुरक्षा काफिलों में कुल 261 वाहनों से श्रद्धालुओं को घाटी के लिए भेजा गया।
- सुबह 3:30 बजे पहला काफिला 2,879 श्रद्धालुओं को लेकर बालटाल कैंप के लिए रवाना हुआ।
- सुबह 4:25 बजे दूसरा काफिला 5,029 श्रद्धालुओं को लेकर नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप के लिए निकला।
छड़ी मुबारक ने किया भूमि पूजन
10 जुलाई को पहलगाम में अमरनाथ यात्रा की प्रतीक ‘छड़ी मुबारक’ का भूमि पूजन किया गया। यह पूजन महंत स्वामी दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में हुआ। श्रीनगर के दशनामी अखाड़ा भवन से छड़ी मुबारक को संतों के समूह द्वारा पहलगाम लाया गया, जहां इसे गौरी शंकर मंदिर में स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन किया गया। पूजन के बाद छड़ी को वापस श्रीनगर स्थित अखाड़ा भवन ले जाया गया।
छड़ी मुबारक 4 अगस्त को अपनी अंतिम यात्रा शुरू करेगी और 9 अगस्त को पवित्र गुफा मंदिर पहुंचेगी। इसी दिन अमरनाथ यात्रा का विधिवत समापन होगा, जो श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन पर पड़ता है।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन मैदान में हुए आतंकी हमले में 26 श्रद्धालुओं की हत्या के बाद सुरक्षा एजेंसियां अतिरिक्त सतर्क हैं।
- सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस के साथ-साथ
- सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां भी यात्रा मार्गों पर तैनात की गई हैं।
यात्रा का महत्व
अमरनाथ यात्रा कुल 38 दिनों की है और समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊंची गुफा में स्थापित प्राकृतिक हिम शिवलिंग के दर्शन कराए जाते हैं। यह हिम शिवलिंग चंद्रमा की कलाओं के अनुसार आकार लेता है और भगवान शिव की दिव्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
विशेष तथ्य:
🔹 यात्रा की शुरुआत – 3 जुलाई 2025
🔹 समापन – 9 अगस्त 2025
🔹 अब तक दर्शन करने वाले श्रद्धालु – 2.52 लाख
🔹 कुल सुरक्षा बल – सेना, CAPF, स्थानीय पुलिस समेत कई एजेंसियां तैनात
🔹 धार्मिक प्रतीक – छड़ी मुबारक, हिम शिवलिंग