देहरादून। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) पर बिजली खरीद के मामले में बड़ी सख्ती बरतते हुए बाजार से शॉर्ट टर्म अवधि में बिजली खरीद की सीमा को घटाकर सिर्फ 5 प्रतिशत कर दिया है। आयोग के नए टैरिफ ऑर्डर के तहत यह सीमा लागू की गई है, जिससे निगम के सामने 270 करोड़ यूनिट बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था करना बड़ी चुनौती बन गया है।
यूपीसीएल को चालू वित्त वर्ष में कुल 1804.6 करोड़ यूनिट बिजली की आपूर्ति करनी है। इसमें अब तक लगभग 20 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति शॉर्ट टर्म टेंडर या इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से की जाती रही है। लेकिन आयोग ने इस हिस्से को अब सिर्फ 90 करोड़ यूनिट (5%) तक सीमित कर दिया है।
🔹 बिजली की कमी बन सकती है संकट
बचे हुए 15 प्रतिशत (करीब 270 करोड़ यूनिट) बिजली की आपूर्ति अब यूपीसीएल के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। नियामक आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस बिजली की पूर्ति 25 वर्षों के दीर्घकालीन पीपीए (पावर परचेज एग्रीमेंट) या 10 वर्षों के लघु अवधि टेंडर के माध्यम से ही की जानी चाहिए।
🔹 नहीं मिल रही कंपनियां, खरीद प्रक्रिया अटकी
यूपीसीएल के निदेशक (परियोजना) अजय कुमार अग्रवाल ने जनसुनवाई में बताया था कि निगम अब तक नौ बार दीर्घकालीन खरीद के लिए टेंडर निकाल चुका है, लेकिन कोई भी निजी कंपनी इसमें भाग लेने को तैयार नहीं हुई। लघु अवधि के टेंडर के लिए भी यही स्थिति बनी हुई है।
फिलहाल केवल एक 200 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का पीपीए ही हो सका है, जो टीएचडीसी के पीएसपी प्रोजेक्ट के अंतर्गत हुआ है।
🔹 भविष्य में और बढ़ेगी बिजली की जरूरत
आंकड़ों के अनुसार, यूपीसीएल को आने वाले वर्षों में बिजली की खपत में लगातार वृद्धि का अनुमान है:
वर्ष | अनुमानित जरूरत (करोड़ यूनिट) |
---|---|
2025-26 | 261.29 |
2026-27 | 308.29 |
2027-28 | 372.53 |
इस साल दिसंबर 2024 तक ही यूपीसीएल 230.39 करोड़ यूनिट शॉर्ट टर्म बिजली खरीद चुका है, जबकि नए आदेश के तहत यह सीमा पहले ही पार हो चुकी है।
🔹 कठिन दौर की ओर बढ़ता ऊर्जा प्रबंधन
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लंबी अवधि की आपूर्ति के स्रोत जल्द नहीं मिले तो राज्य को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है। यूपीसीएल इस संकट से उबरने के लिए वैकल्पिक विकल्पों की तलाश में जुटा है।