देहरादून। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को अनुशासित और प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधीन संचालित सभी सरकारी अस्पतालों में 1 जनवरी 2026 से बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली अनिवार्य कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
गुरुवार को शासकीय आवास पर आयोजित समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेशभर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों से चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की अनुपस्थिति की लगातार शिकायतें मिल रही हैं, जिसे गंभीरता से लेते हुए यह निर्णय लिया गया है। अब सभी राजकीय चिकित्सालयों में चिकित्सक, पैरामेडिकल, तकनीकी एवं अन्य समस्त कर्मचारियों की बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी और उपस्थिति के आधार पर ही वेतन का आहरण किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए उच्च अधिकारियों को जिलों में भेजा जाएगा। पूर्व में नामित नोडल अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में जाकर चिकित्सा इकाइयों का स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में कई अहम निर्णयों और प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई। इनमें
- विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए अलग कैडर का गठन
- केंद्रीयकृत क्रय कार्पोरेशन बनाने
- वार्ड बॉय, तकनीकी संवर्ग सहित रिक्त पदों को भरने
- स्वास्थ्य केंद्रों में साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था
- मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता सुधार
- अस्पतालों में प्रतिदिन चादर बदलने की व्यवस्था
- स्वास्थ्य कार्यकर्ता व पर्यवेक्षकों को पांच वर्ष की सेवा के बाद एक बार जिला परिवर्तन का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने
जैसे महत्वपूर्ण निर्देश शामिल रहे।
इसके अलावा राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के तहत गोल्डन कार्ड और आयुष्मान कार्ड धारकों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने तथा एनएचएम के अंतर्गत आउटसोर्स कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए।
स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को जवाबदेह, पारदर्शी और जनहितकारी बनाना है और इसके लिए किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
