देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के चर्चित पेपर लीक कांड में जेल में बंद मास्टरमाइंड मो. खालिद की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब इस मामले में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सीबीआई की सिफारिश पर देहरादून के रायपुर थाने में खालिद के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की गई है। जांच में सामने आया है कि खालिद ने न केवल प्रश्नपत्र लीक किया, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की जड़ों को ही हिलाने वाला फर्जीवाड़ा भी किया।
सीबीआई की विस्तृत जांच में खुलासा हुआ कि खालिद ने दो अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं—स्नातक स्तरीय और सहकारी निरीक्षक—के लिए कुल नौ अलग-अलग आवेदन भरे। हर आवेदन में उसने अपनी शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर और फोटो तक बदल दी। सहकारी निरीक्षक पद के लिए अनिवार्य विषयों (अर्थशास्त्र/कॉमर्स) में स्नातक न होने के बावजूद उसने फर्जी विश्वविद्यालयों की जाली मार्कशीट और प्रमाणपत्रों के सहारे परीक्षा में प्रवेश पाया।
मामले की पुष्टि के लिए जब आयोग ने संबंधित विश्वविद्यालयों से सत्यापन कराया, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। जिन विश्वविद्यालयों का छात्र होने का दावा खालिद ने किया था, वहां से स्पष्ट रिपोर्ट मिली कि वह कभी उनका छात्र ही नहीं रहा। इसके बाद आयोग ने पूरे मामले का विवरण सीबीआई को सौंपा।
सीबीआई की संस्तुति पर आयोग के अनु. सचिव की ओर से रायपुर पुलिस को शिकायत दी गई, जिसके आधार पर भारतीय न्याय संहिता और उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में नकल के नियंत्रण और रोकथाम के लिए उपाय) अधिनियम, 2023 की कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अब रायपुर पुलिस खालिद से न्यायिक हिरासत में पूछताछ की तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार के लक्सर निवासी मो. खालिद पहली बार सितंबर में सुर्खियों में आया था, जब स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र के पन्ने व्हाट्सएप पर वायरल हुए थे। जांच में सामने आया कि खालिद ने परीक्षा केंद्र में मोबाइल छिपाकर प्रवेश किया और अपनी बहन साबिया के जरिये सहायक प्रोफेसर सुमन को पेपर भेजा, ताकि उत्तर हल कराए जा सकें। मामले ने तूल पकड़ा तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने हाल ही में खालिद, उसकी बहन और प्रोफेसर सुमन के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी है।
