रुद्रपुर/हल्द्वानी। उत्तराखंड में 22 सितंबर से जीएसटी की संशोधित दरें लागू होने जा रही हैं, लेकिन इससे पहले ही ऊधमसिंह नगर जिले में कर चोरी का महाकुचक्र तेज हो गया है। गुटका और तंबाकू पर सबसे अधिक कर वृद्धि की आहट से कथित ट्रांसपोर्ट माफिया ने अपने गोदाम गुटके व अन्य माल से ठसाठस भर दिए हैं, ताकि नई दरें लागू होते ही माल को मनमाने दामों पर उतारकर मोटा मुनाफा कमा सकें।
बिना बिल-बिल्टी का काला कारोबार
सूत्रों के मुताबिक रुद्रपुर और किच्छा की चुनिंदा ट्रांसपोर्ट कंपनियां बिना बिल और बिल्टी के रोज़ाना करोड़ों का माल उतार रही हैं। दिल्ली से आने वाले ट्रक राज्य कर विभाग की आंखों में धूल झोंकते हुए सीधे रुद्रपुर पहुंचते हैं, जबकि बरेली से आने वाला माल किच्छा की एक खास ट्रांसपोर्ट में उतारा जाता है। यहां से परचून, कपड़ा, जूता, गुटका, कॉस्मेटिक से लेकर अन्य सामान तक बिना टैक्स के आसपास के बाजारों और हल्द्वानी की ट्रांसपोर्टों तक सप्लाई हो रहा है।
सरकार को करोड़ों का नुकसान, अफसरों पर सवाल
यह संगठित टैक्स चोरी राज्य सरकार को हर रोज़ करोड़ों रुपये के राजस्व से वंचित कर रही है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य कर विभाग के कुछ अधिकारी खुद संदेह के घेरे में हैं। सूत्र बताते हैं कि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की शह पर यह नेटवर्क लंबे समय से फल-फूल रहा है। हालांकि अब वह अधिकारी खुद को इससे अलग बताने लगे हैं, मगर ट्रांसपोर्टरों पर उनका नियंत्रण अब भी बरकरार बताया जा रहा है।
जीएसटी लागू होने से पहले “सेटिंग-गेटिंग” का धंधा
नई जीएसटी दरें लागू होने से महज कुछ दिन पहले यह खेल और भी तेज हो गया है। टैक्स चोरी के इस पूरे गोरखधंधे में ट्रांसपोर्टर और कथित प्रभावशाली लोग “सेटिंग-गेटिंग” के दम पर कानून को चुनौती दे रहे हैं, और राज्य कर विभाग की सुस्ती ने पूरे मामले को और संदिग्ध बना दिया है।
धामी सरकार पर सीधा प्रहार
प्रदेश की धामी सरकार जहां राजस्व बढ़ाने के लिए संशोधित जीएसटी दरों की घोषणा कर रही है, वहीं इस बेखौफ टैक्स चोरी ने उसकी साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता पूछ रही है कि जब पूरा नेटवर्क सबके सामने है तो कार्रवाई क्यों नहीं?
अब देखना होगा कि 22 सितंबर को नई दरें लागू होने से पहले सरकार और विभाग जागते हैं या नहीं, वरना उत्तराखंड का सरकारी खजाना इसी तरह करोड़ों का नुकसान झेलता रहेगा और टैक्स माफिया खुलकर मालामाल होते रहेंगे।

