नई दिल्ली। कर्ज में डूबी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी की दिक्कतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने कंपनी के ऋण खातों को ‘धोखाधड़ी’ (फ्रॉड) की श्रेणी में डाल दिया है। यह कार्रवाई उन कर्जों से जुड़ी है, जो आरकॉम के दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) में जाने से पहले लिए गए थे।
पहले एसबीआई और बैंक ऑफ इंडिया भी उठा चुके हैं कदम
बैंक ऑफ बड़ौदा ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी। इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया भी आरकॉम के खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित कर चुके हैं। बैंक ऑफ इंडिया ने 24 अगस्त को कथित फंड डायवर्जन और ऋण शर्तों के उल्लंघन का हवाला दिया था।
आरकॉम का बचाव
आरकॉम ने सफाई देते हुए कहा है कि ये सभी ऋण दिवाला प्रक्रिया शुरू होने से पहले के हैं और इनका निपटारा समाधान योजना के तहत ही होगा। फिलहाल कंपनी का प्रबंधन रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अनीश निरंजन ननावटी के हाथों में है और अनिल अंबानी अब निदेशक मंडल में शामिल नहीं हैं। कंपनी का कहना है कि ऋणदाताओं की समिति (CoC) द्वारा समाधान योजना को मंजूरी मिल चुकी है और अब एनसीएलटी की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है।
नए कानूनी कदमों पर रोक
आरकॉम ने यह भी स्पष्ट किया कि दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (IBC) के तहत कंपनी के खिलाफ किसी भी नई कानूनी कार्रवाई पर रोक है। बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम पर कंपनी कानूनी सलाह ले रही है।
ईडी की जांच जारी
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़े लगभग 17,000 करोड़ रुपये के कथित ऋण घोटाले की जांच कर रहा है। ईडी ने इस सिलसिले में 12 से 13 बैंकों से रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस, आरकॉम और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस से जुड़े ऋणों का ब्यौरा मांगा है।
विशेषज्ञों की राय
बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा है कि वह इस कार्रवाई की रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य नियामकों को सौंपेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल आरकॉम की दिवाला प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, बल्कि यह बैंकिंग प्रणाली में एनपीए समाधान की दिशा में भी अहम संकेत है।

