नई दिल्ली। देश के करोड़ों वाहन चालकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को राज्यसभा में घोषणा की कि वर्ष 2026 के अंत तक पूरे देश में बहु-लेन निर्बाध परिवहन (MLFF) टोल प्रणाली और एआई-संचालित राजमार्ग प्रबंधन सिस्टम को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। इस अत्याधुनिक व्यवस्था के लागू होते ही टोल प्लाजा पर गाड़ियों की लंबी कतारें इतिहास बन जाएंगी और यात्रियों को टोल चुकाने के लिए वाहन रोकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
प्रश्नकाल के दौरान सदन को जानकारी देते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि नई टोल प्रणाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट तकनीक पर आधारित होगी। इसके तहत हाई-स्पीड कैमरों और सैटेलाइट सिस्टम से वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन की जाएगी और टोल स्वतः खाते से कट जाएगा। इससे वाहन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी टोल प्लाजा पार कर सकेंगे।
गडकरी ने कहा कि पहले मैनुअल भुगतान के दौर में टोल पर 3 से 10 मिनट तक का समय बर्बाद होता था। फास्टैग के आने से यह समय घटकर 60 सेकंड या उससे कम हुआ, लेकिन सरकार का लक्ष्य अब ‘वेटिंग टाइम’ को पूरी तरह शून्य करना है। एमएलएफएफ प्रणाली इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी।
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि इस नई व्यवस्था से देशभर में सालाना करीब 1,500 करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी। साथ ही सरकार के राजस्व में लगभग 6,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी और टोल चोरी की समस्या भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यह सिस्टम पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त होगा।
हालांकि, गडकरी ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार केवल राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जिम्मेदार है। राज्य राजमार्गों और शहरों की सड़कों की जिम्मेदारी राज्यों और स्थानीय निकायों की होती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अक्सर राज्य या शहर की सड़कों की समस्याओं को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़कर भ्रम फैलाया जाता है।
मंत्री ने दो टूक कहा कि सरकार 2026 तक इस परियोजना को 100 प्रतिशत पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लागू होने के बाद आम जनता की यात्रा न सिर्फ तेज और सुगम होगी, बल्कि समय और ईंधन दोनों की बड़ी बचत भी सुनिश्चित हो सकेगी।
