नैनीताल: हाईकोर्ट में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए विवाद और घटनाक्रम को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार को अहम सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मतगणना प्रक्रिया पर अपनी रिपोर्ट शपथपत्र के रूप में पेश की।
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामत ने अदालत से पुनर्मतदान कराने की मांग की। उन्होंने दलील दी कि लोकतंत्र की नींव स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर आधारित है, जबकि इस चुनाव में हुई गड़बड़ियों ने पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं।
कामत ने अदालत को बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि पुनर्मतदान का कोई प्रावधान नहीं है। इसके जवाब में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और अन्य उच्च न्यायालयों के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि यदि चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो तो निर्वाचन आयोग और निर्वाचन अधिकारी को चुनाव निरस्त करने और पुनर्मतदान कराने का पूरा अधिकार है।
उन्होंने अनुच्छेद 324 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग को सुपरवाइज, डायरेक्ट और कंट्रोल करने की शक्ति प्रदान करता है। यही शक्तियां राज्यों में राज्य निर्वाचन आयोग को भी प्राप्त हैं। इसलिए यदि चुनाव में हिंसा, बूथ कैप्चरिंग या गड़बड़ी साबित हो जाए, तो आयोग चुनाव रद्द कर सकता है और पुनर्मतदान करा सकता है।
अब मामले में आज फिर से सुनवाई होगी, जिससे यह तय होगा कि नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव में पुनर्मतदान होगा या नहीं।

