प्रयागराज: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ में संतों और महंतों ने सरकार के सामने एक बड़ा मुद्दा उठाया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के नेतृत्व में संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वक्फ बोर्ड खत्म करने और सनातन बोर्ड बनाने की मांग की है। संतों ने ऐलान किया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, वे महाकुंभ छोड़कर नहीं जाएंगे।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड जरूरी: संत
महंत रवींद्र पुरी ने गुरुवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन अनिवार्य है। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने इस मांग को जोरदार समर्थन देते हुए 27 जनवरी को धर्म संसद बुलाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “इस धर्म संसद में सनातन बोर्ड का मसौदा तैयार किया जाएगा। हमें अपनी धार्मिक परंपराओं और संस्कृति को बचाने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे।”
संतों का हुंकार: सनातन बोर्ड लेकर रहेंगे
जूना अखाड़े के महंत स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने कहा, “सनातन बोर्ड की स्थापना हमारी धार्मिक पहचान और परंपराओं की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। यह हमारी मठ-मंदिरों की रक्षा करेगा।” आनंद अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने कहा, “सनातन परंपरा केवल भारत तक सीमित नहीं है, यह पूरे विश्व में फैली हुई है। इसके संरक्षण के लिए सनातन बोर्ड का गठन आवश्यक है।”
महाकुंभ में नई हलचल
महाकुंभ में यह मांग एक नए आंदोलन का संकेत दे रही है। संतों का कहना है कि सनातन धर्म को राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर मजबूती देने के लिए वक्फ बोर्ड की तर्ज पर सनातन बोर्ड का गठन किया जाए।
सरकार पर दबाव बढ़ा
संतों की इस मांग से सरकार पर दबाव बढ़ गया है। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक मंच से उठी यह आवाज निश्चित रूप से बड़ा प्रभाव डाल सकती है। अब सभी की नजरें 27 जनवरी को होने वाली धर्म संसद पर टिकी हैं, जहां इस आंदोलन की अगली रणनीति तय की जाएगी।