नई दिल्ली/सना। यमन के रास इस्सा तेल बंदरगाह पर गुरुवार को अमेरिकी सेना द्वारा किए गए भीषण हवाई हमले में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई, जबकि 102 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हमला हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाके में किया गया। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने इस सैन्य कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य हूती गुट की आर्थिक क्षमताओं को कमजोर करना था।
सैन्य कमांड की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई ईंधन आपूर्ति की रीढ़ कहे जाने वाले बंदरगाह को निशाना बनाकर की गई, ताकि हूतियों की हिंसात्मक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके। हूती गुट ने भी हमले की पुष्टि करते हुए अमेरिका पर सीधा आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि नवंबर 2023 से हूती विद्रोही इजरायल से जुड़े वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। गाजा युद्ध के विरोध में उन्होंने लाल सागर समेत अन्य जलमार्गों से गुजरने वाले जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं। हाल ही में इजरायल द्वारा गाजा में फिर से सैन्य कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद हूतियों ने भी जवाबी हमलों की चेतावनी दी थी।
बताया जा रहा है कि यह हमला अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा पदभार संभालने के बाद अब तक का सबसे बड़ा और घातक हमला है। इससे पहले मार्च में दो दिनों तक चले अमेरिकी हमलों में 50 से अधिक लोगों की जान गई थी।
हमले के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई है और घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, मृतकों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।