उत्तराखंड: कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को मिलेगा सुरक्षित आवास, सात जिलों में बनेगा महिला छात्रावास

खबर शेयर करें

देहरादून। निर्भया फंड से उत्तराखंड के सात जिलों में महिला छात्रावासों का निर्माण जल्द शुरू होने जा रहा है। इन छात्रावासों के लिए स्थान चिह्नित कर लिया गया है और ब्रिडकुल से अनुबंध हो चुका है। तीन वर्षों के भीतर इनका निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग के मुताबिक, राज्य में कुल 12 छात्रावासों के निर्माण की योजना है, जिनमें से सात के लिए बजट स्वीकृत हो चुका है। शेष पांच जिलों में भूमि चयन की प्रक्रिया जारी है। प्रत्येक छात्रावास की क्षमता 50 से 150 कमरों की होगी। इनका वित्त पोषण भारत सरकार के निर्भया फंड से किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  बेटे ने ठुकराया फर्ज़, बुजुर्ग मां-बाप को किया बेदखल...DM ने लौटाई 3080 वर्गफुट की संपत्ति

महिलाओं को मिलेगा सुरक्षित माहौल
छात्रावास निर्माण से दूरदराज के इलाकों से पढ़ाई और नौकरी के लिए शहरों में आने वाली महिलाओं और किशोरियों को सुरक्षित और अनुकूल वातावरण मिलेगा। वे बिना किसी चिंता के शिक्षा और अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में बिजली संकट, मध्यम व दीर्घ अवधि के टेंडर पर नहीं मिल रही कंपनियां

दिव्यांग महिलाओं को प्राथमिकता
राज्य नोडल अधिकारी आरती बलूदी के अनुसार, प्रत्येक कमरे में दो महिलाओं को आवास मिलेगा। दिव्यांग महिलाओं और किशोरियों के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। बाकी सीटें “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर दी जाएंगी।

यह भी पढ़ें 👉  तुर्की को सख्त संदेश: केंद्र सरकार ने इंडिगो को टर्किश एयरलाइंस से लीज समझौता खत्म करने का दिया आदेश

यहां बनेंगे छात्रावास

जिलास्थानलागत (लाख रुपये)
रुद्रप्रयागभटवाड़ी सैंण, अगस्त्यमुनि372.31
पौड़ी गढ़वालसिडकुल क्षेत्र, कोटद्वार360.05
टिहरी गढ़वालसुरसिंगधार, नई टिहरी357.03
हरिद्वारनगर पंचायत, भगवानपुर279.05
पिथौरागढ़कुमौड़, पिथौरागढ़417.49
चंपावतसेलाखोला गैर, चंपावत390.28
उत्तरकाशीगोफियारा, बाड़ाहाट378.19

महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने कहा कि यह परियोजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार इस कार्य को तय समय में पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

You cannot copy content of this page