परमाणु निवेश को मिलेगा बढ़ावा, सरकार बदलेगी दायित्व कानून

खबर शेयर करें

नई दिल्ली। भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। सरकार ऐसे संशोधन लाने की योजना बना रही है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं की दायित्व संबंधी कानूनी चिंताओं को दूर किया जा सके।

सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन के तहत परमाणु दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ता से केवल अनुबंधित राशि तक ही मुआवजा लिया जा सकेगा। वर्तमान कानून में आपूर्तिकर्ताओं पर असीमित दायित्व का प्रावधान है, जिसके कारण कई विदेशी कंपनियां भारत में निवेश से हिचक रही थीं। खासकर अमेरिकी कंपनियां जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस लंबे समय से इस मुद्दे को प्रमुख अड़चन मानती रही हैं।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में कई बार घूम चुकी है पाक जासूसी की आरोपी यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, एजेंसियां सतर्क

सरकार को उम्मीद है कि यह संशोधन आगामी मानसून सत्र (जुलाई 2025) में संसद से पारित हो जाएगा। इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस महत्वाकांक्षी लक्ष्य से भी जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत वर्ष 2047 तक देश की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को मौजूदा स्तर से 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट तक पहुंचाना है।

यह भी पढ़ें 👉  इजरायल का ईरान पर बड़ा हमला, चीफ ऑफ स्टाफ की मौत, भारत ने जारी की एडवाइजरी

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से भारत में परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को गति मिलेगी और स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य को बल मिलेगा। साथ ही, यह कदम भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते के रास्ते भी आसान कर सकता है, जिसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाना है।