पीठ दर्द की समस्या में 95 फीसदी मामलों में नहीं होती सर्जरी की जरूरत : डॉ. कपिल जैन

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रुद्रपुर। संवाददाता। पीठ दर्द एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 95 प्रतिशत मामलों में यह दर्द बिना सर्जरी के ही दवाओं, फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में बदलाव के जरिए ठीक किया जा सकता है। केवल 5 प्रतिशत मामलों में ही गंभीर स्थिति आने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है।

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के न्यूरोसर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. कपिल जैन ने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी में होने वाले बदलाव—जैसे डिस्क घिसना या जोड़ों की कमजोरी—पीठ दर्द का कारण बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि वजन नियंत्रित रखने, नियमित व्यायाम करने, सही पोश्चर अपनाने और धूम्रपान से दूर रहने से इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।

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डॉ. जैन ने चेतावनी दी कि यदि पीठ दर्द लगातार बढ़ता जाए, आराम करने पर भी राहत न मिले, पैरों या हाथों में सुन्नता या कमजोरी महसूस हो, बुखार या मूत्र-पाचन संबंधी लक्षण हों, या फिर कैंसर के इतिहास वाले मरीजों को पीठ दर्द हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। ऐसे लक्षण किसी गंभीर बीमारी की ओर संकेत कर सकते हैं।

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उन्होंने बताया कि पीठ दर्द के सटीक कारणों की पहचान के लिए एमआरआई सबसे प्रभावी जांच है। इसके जरिए हर्नियेटेड डिस्क, स्पाइनल स्टेनोसिस, संक्रमण या ट्यूमर जैसी समस्याओं का पता चलता है। आमतौर पर इलाज की शुरुआत दवाओं, फिजियोथेरेपी और आराम से की जाती है।

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यदि इन उपायों से राहत न मिले, तो माइक्रोस्कोपिक या एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी जैसे आधुनिक और मिनिमली इनवेसिव विकल्प मौजूद हैं। इन विधियों में कम चीरा लगता है, मांसपेशियों को कम नुकसान होता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं।

डॉ. जैन ने कहा कि पीठ दर्द को हल्के में लेना सही नहीं है। समय पर उचित जांच और इलाज से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है और व्यक्ति फिर से सामान्य, दर्दरहित जीवन जी सकता है।