उत्तराखंड में बिजली दरों पर दोहरी मार, 25 फीसदी तक बढ़ सकते हैं बिल

खबर शेयर करें

देहरादून। उत्तराखंड में इस बार बिजली उपभोक्ताओं को दोहरी महंगाई का सामना करना पड़ सकता है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने तीनों ऊर्जा निगमों के वार्षिक टैरिफ के साथ ही यूजेवीएनएल के पावर डेवलपमेंट फंड की वसूली की तैयारी कर ली है। हालांकि, आयोग का फोकस इस बात पर भी है कि उपभोक्ताओं पर इसका अधिक भार न पड़े।

29 फीसदी तक बढ़ सकती हैं बिजली दरें

तीनों ऊर्जा निगमों— यूपीसीएल (12%), पिटकुल (12%) और यूजेवीएनएल (5%) ने इस बार नियामक आयोग के समक्ष 29 फीसदी तक बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। आयोग जनसुनवाई प्रक्रिया पूरी कर चुका है और बुधवार को राज्य सलाहकार समिति की बैठक में इस पर चर्चा भी हुई। बैठक में उद्योगों के प्रतिनिधि बिजली दरों में वृद्धि के खिलाफ दिखे। अब आयोग इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए नई बिजली दरों का निर्धारण करेगा, जो एक अप्रैल से प्रभावी होंगी।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी: पार्षदों को वित्तीय अधिकार देने की मांग पर विधायक सुमित हृदयेश का जताया आभार

2500 करोड़ के पावर डेवलपमेंट फंड की वसूली बड़ा मुद्दा

यूजेवीएनएल ने मनेरी भाली-2 परियोजना के तहत पावर डेवलपमेंट फंड और ब्याज सहित 2500 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह परियोजना वर्ष 2008 में शुरू हुई थी। पहले नियामक आयोग ने इस मांग को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यूजेवीएनएल ने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) में अपील की। न्यायाधिकरण ने यूजेवीएनएल के पक्ष में फैसला देते हुए नियामक आयोग को फंड की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड: निगम व निकाय कर्मियों को मिली सौगात, महंगाई भत्ता 11% बढ़ा

यूजेवीएनएल की मांग है कि मूल रिटर्न व इक्विटी 850 करोड़ रुपये पर ब्याज समेत कुल 2500 करोड़ रुपये की जरूरत है। इंडस्ट्री एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन न्यायालय ने इस पर कोई स्टे नहीं दिया। ऐसे में नियामक आयोग को एपीटीईएल के आदेश का पालन करना होगा।

यदि आयोग पूरी 2500 करोड़ की राशि एक साथ वसूलता है, तो बिजली बिलों में करीब 25 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, आयोग उपभोक्ताओं पर एक साथ अधिक भार न पड़े, इसके लिए कोई मध्य मार्ग तलाश रहा है।

नई बिजली दरों की घोषणा में होगी देरी

राज्य में नई बिजली दरों की घोषणा में कुछ देरी हो सकती है। पहले निकाय चुनावों के चलते जनसुनवाई में देरी हुई और फिर त्योहारों की छुट्टियों की वजह से प्रक्रिया लंबित रही। इसके अलावा, आयोग को सालाना टैरिफ के साथ तीनों निगमों के तीन वर्षीय बिजनेस प्लान की समीक्षा भी करनी है।

यह भी पढ़ें 👉  बारिश में नहाना फायदेमंद, विशेषज्ञों ने बताया आसमान से गिरे ‘अमृत’ से मिलते हैं अनगिनत फायदे

अब नई दरें अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक जारी होने की संभावना है, लेकिन इन्हें एक अप्रैल से ही प्रभावी माना जाएगा।

उपभोक्ताओं के लिए राहत या झटका?

अब देखना यह होगा कि आयोग बिजली दरों में कितनी वृद्धि करता है और इसका आम जनता पर कितना असर पड़ता है। फिलहाल, उपभोक्ताओं को बिजली की बढ़ी दरों के लिए तैयार रहना होगा।

You cannot copy content of this page