नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस एक बार फिर दस्तक देता नजर आ रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, मध्य प्रदेश के इंदौर और तमिलनाडु के चेन्नई में कोविड-19 के नए मामले सामने आए हैं। इंदौर में दो लोग संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें एक महिला की मौत भी हो गई है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की नहीं, बल्कि सतर्कता बरतने की जरूरत है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस ने 2020 में वैश्विक तबाही मचाई थी, लेकिन वैक्सीन और प्राकृतिक इम्युनिटी के चलते बीते दो वर्षों में संक्रमण के मामलों में बड़ी गिरावट आई थी। अधिकांश मामले ओमिक्रॉन के हल्के सब-वेरिएंट्स के रूप में सामने आए थे, जिनमें लक्षण भी मामूली थे।
हाल ही में गर्मी की शुरुआत के साथ कुछ इलाकों में फिर से कोविड मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। इस पर महामारी विशेषज्ञ डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि कोई भी वायरस पूरी तरह समाप्त नहीं होता। बदलते मौसम में फ्लू जैसे लक्षण आम हैं, और चूंकि कोविड का वायरस अभी भी मौजूद है, इसलिए जांच बढ़ने पर कुछ लोग पॉजिटिव आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह पैनिक की स्थिति नहीं है।
इसी कड़ी में दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल के पूर्व कोविड नोडल अधिकारी डॉ. अजीत जैन ने कहा कि अब तक डेल्टा को छोड़कर अधिकांश वेरिएंट हल्के रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संक्रमित पाए गए लोगों की सैंपलिंग कर जीनोम सीक्वेंसिंग जरूरी है, जिससे पता चल सके कि वायरस का कौन सा वेरिएंट फैल रहा है।
इंदौर में संक्रमित महिला की मौत के संबंध में डॉ. जैन ने कहा कि केवल कोविड पॉजिटिव होने को मौत का कारण नहीं माना जा सकता। महिला की मेडिकल हिस्ट्री की जांच जरूरी है, संभव है कि किसी अन्य बीमारी के चलते उसकी मृत्यु हुई हो।
विशेषज्ञों की राय में वर्तमान में घबराने जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन निगरानी, टेस्टिंग और जीनोम सीक्वेंसिंग को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहकर हर संदिग्ध मामले की गहन जांच करनी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित खतरे से समय रहते निपटा जा सके।