रूसी हमले से दहला कीव, 5 बच्चों समेत 31 की मौत, 159 घायल

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नई दिल्ली/कीव। यूक्रेन की राजधानी कीव पर गुरुवार को हुए रूसी ड्रोन और मिसाइल हमले ने एक बार फिर पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया। इस भयावह हमले में 5 बच्चों समेत 31 नागरिकों की मौत हो गई, जबकि 159 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घटना के बाद कीव में आधिकारिक शोक दिवस घोषित कर दिया गया है।

हमले के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया कि इस हमले में सबसे कम उम्र का मृतक मात्र दो वर्ष का था, जबकि घायलों में 16 बच्चे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2022 में हवाई हमले शुरू होने के बाद यह कीव पर हुआ सबसे भयावह हमला है, जिसमें एक ही दिन में इतने बड़े पैमाने पर बच्चे प्रभावित हुए हैं।

“हर दिन, हर मदद मायने रखती है” – जेलेंस्की
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “हमले में अब तक 31 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। इस संकट की घड़ी में जो भी डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी और बचावकर्मी जुटे हुए हैं, मैं उनका आभारी हूं।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि दुनिया इन हमलों पर चुप न रहे। मॉस्को पर दबाव और प्रतिबंधों को और सख्त किया जाना चाहिए। प्रतिबंध काम कर रहे हैं और इन्हें और प्रभावशाली बनाना होगा।”

जुलाई में रूस के 12,000 से अधिक हमले
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया कि केवल जुलाई महीने में ही रूस ने यूक्रेन पर 5,100 ग्लाइड बम, 3,800 से अधिक ड्रोन, और 260 मिसाइलें दागीं, जिनमें 128 बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल थीं। उन्होंने कहा कि रूस की इस युद्ध नीति को केवल अमेरिका, यूरोप और वैश्विक शक्तियों के संयुक्त प्रयासों से ही रोका जा सकता है। “हर जुड़ाव मायने रखता है, हर दिन मायने रखता है।”

वैश्विक समुदाय पर उठे सवाल
इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। जेलेंस्की ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, यूरोपीय नेताओं और वैश्विक साझेदारों को समर्थन के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन साथ ही आगाह किया कि “अगर दुनिया अब भी मौन रही तो निर्दोष लोगों की जान यूं ही जाती रहेगी।” इस हमले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि रूसी आक्रामकता पर अंकुश लगाने के लिए वैश्विक समुदाय और कितनी देर करेगा? अब पूरी दुनिया की निगाहें सुरक्षा परिषद, नाटो और वैश्विक मंचों पर टिकी हैं कि क्या वे इस मानवीय संकट को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे या सिर्फ शब्दों तक सीमित रहेंगे।